गांधीनगर ब्यूरो | गुजरात प्रवासी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT), गांधीनगर में बुधवार को आयोजित ‘क्राफ्ट व इनोवेशन कोन्कलेव 2025’ और दीक्षांत समारोह ने ‘वोकल फॉर लोकल’ को ‘एक्शन फॉर लोकल’ में बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों को डिज़ाइन और तकनीक से जोड़कर स्वदेशी उद्यमिता को सशक्त करना था।
डिज़ाइन शिक्षा से सामाजिक परिवर्तन
मुख्य वक्ता वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डॉ. जयंती एस. रवी (IAS) ने युवाओं से आह्वान किया कि वे केवल उपभोक्ता न रहें, बल्कि समाज निर्माण में योगदान दें। उन्होंने कहा,
“डिज़ाइन शिक्षा केवल सौंदर्य तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसका उपयोग सामाजिक नवाचार और परिवर्तन के लिए होना चाहिए।”
उन्होंने MSME और पारंपरिक शिल्प क्षेत्र में रोज़गार के बढ़ते अवसरों पर जोर देते हुए युवाओं को इनसे जोड़ने की आवश्यकता बताई।
ग्रामीण क्लस्टरों से सीधा जुड़ाव
NIFT गांधीनगर के निदेशक प्रो. डॉ. समीर सूद ने बताया कि संस्थान का क्राफ्ट क्लस्टर कार्यक्रम छात्रों को ग्रामीण शिल्पकारों से जोड़ता है, जिससे वे व्यावहारिक अनुभव और सामाजिक संवेदनशीलता प्राप्त करते हैं।
“गुजरात की पटोला, मशरू, खादी जैसी पारंपरिक कलाएं हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं। डिज़ाइन सोच और बाज़ार से जोड़कर हम महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं।”
उन्होंने ग्वालियर के भदेही क्षेत्र में जैकेट मेकिंग वर्कशॉप जैसे प्रयोगों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये प्रयास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देते हैं।
“कृषि के बाद सबसे अधिक रोज़गार भारत में टेक्सटाइल और हस्तशिल्प उद्योग देते हैं। डिज़ाइन हस्तक्षेप से इन क्षेत्रों में नवाचार और रोज़गार की नई राहें खुल रही हैं।”
शिल्प प्रदर्शनी: ₹10.55 लाख की बिक्री
कोन्कलेव में आयोजित शिल्प प्रदर्शनी में जरदोजी, भुजोड़ी, मशरू, सुजनी, पिचवाई, और ब्लॉक प्रिंटिंग जैसी GI टैग प्राप्त कलाओं की बिक्री और प्रदर्शनी हुई। कुल ₹10.55 लाख की बिक्री दर्ज की गई, जिससे शिल्पकारों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिला।
दीक्षांत समारोह: 241 छात्रों को डिग्रियाँ
दीक्षांत समारोह में 241 छात्रों (173 स्नातक और 68 परास्नातक) को डिग्रियाँ प्रदान की गईं। विभागवार छात्र संख्या इस प्रकार रही
विभागछात्र संख्यासहायक डिज़ाइन31फैशन कम्युनिकेशन39फैशन डिज़ाइन41फैशन मैनेजमेंट35फैशन टेक्नोलॉजी26मास्टर ऑफ डिज़ाइन33टेक्सटाइल डिज़ाइन36
छात्रों ने पारंपरिक शिल्प और टेक्सटाइल स्थिरता पर आधारित प्रोजेक्ट्स की प्रदर्शनी प्रस्तुत की, जिसका उद्घाटन डॉ. जयंती एस. रवी और प्रो. डॉ. समीर सूद ने किया। छात्रों ने भारत की पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करने और डिज़ाइन के ज़रिए नया जीवन देने की शपथ ली।
छात्रों का फील्ड अनुभव
फैशन डिज़ाइन की छात्रा उजवला:
“हमने नवरात्रि परिधानों को आधुनिक डिज़ाइन में प्रस्तुत किया, जिससे पारंपरिक वस्त्रों को नया जीवन मिला।”
फैशन टेक्नोलॉजी की छात्रा रूपल पंचाल:
“खादी पर काम करते हुए मैंने टिकाऊ फैशन की गहराई को समझा। डिज़ाइन के बाद भरत कार्य में अक्सर पीछे की साइट का ध्यान नहीं दिया जाता — यह सीख बेहद मूल्यवान रही।”

प्रमुख उपस्थिति
डॉ. जयंती एस. रवी (IAS) – मुख्य वक्ता
प्रो. डॉ. समीर सूद – निदेशक, NIFT गांधीनगर
प्रो. डॉ. नूपुर आनंद – डीन, अकादमिक
अनूप नौटियाल – फैशन उद्योग विशेषज्ञ
सुश्री मंजु गुप्ता मानाजन – प्रमुख (एए), NIFT दिल्ली
श्विशाल गुप्ता – CAC प्रतिनिधि
आयोजन की मुख्य विशेषताएँ
241 छात्रों को डिग्रियाँ प्रदान
₹10.55 लाख की शिल्प बिक्री
GI टैग शिल्पों की प्रदर्शनी
MSME और डिज़ाइन छात्रों के बीच समन्वय यह आयोजन ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक सशक्त कदम साबित हुआ, जो पारंपरिक शिल्प को आधुनिक डिज़ाइन और बाज़ार से जोड़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और युवा उद्यमिता को बढ़ावा दे रहा है।
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