गांधीनगर, 13 सितंबर —
क्या कभी सोचा है कि किसी अनजान शव की पहचान सिर्फ दांतों से हो सकती है? या किसी बड़े हादसे के बाद जब सब कुछ खत्म हो जाए, तब सच्चाई की पहचान दंत चिकित्सा से हो? कुछ ऐसा ही संदेश लेकर गांधीनगर के राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) में शनिवार को “IAFOCON-25” — फोरेंसिक दंत चिकित्सा पर आधारित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई।
उद्घाटन समारोह में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रो. (डॉ.) माणिक साहा ने साफ कहा — “दांत सिर्फ मुस्कान के लिए नहीं हैं, ये इंसाफ और मानवीय गरिमा लौटाने का जरिया भी बन सकते हैं।” उन्होंने निर्भया, निठारी और अहमदाबाद विमान हादसे जैसे मामलों का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे दंत चिकित्सा ने अज्ञात पीड़ितों की पहचान में अहम भूमिका निभाई।
मुख्यमंत्री ने शोधकर्ताओं से इस क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के इस्तेमाल और सटीक रिकॉर्डिंग को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा, “जब कानून और दंत विज्ञान साथ आते हैं, तो सबसे गहरी सच्चाइयाँ भी सामने आती हैं।”
‘हर व्यक्ति की पहचान उसके दांतों में भी छिपी होती है’
एनएफएसयू के कुलपति और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. जे.एम. व्यास ने सम्मेलन में ‘राष्ट्रीय दंत रजिस्ट्री’ की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उनका कहना था कि बाल, खून, आवाज़ और दांत — ये सब किसी की पहचान के अहम हिस्से हैं, और इन्हें संभालकर रखना हमारा वैज्ञानिक कर्तव्य है। उन्होंने सुझाव दिया कि यह रजिस्ट्री राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के साथ मिलकर काम करे, जिससे किसी बड़ी आपदा के समय लापता लोगों की पहचान तेजी से हो सके। विदेशी विशेषज्ञों ने भी साझा की तकनीकें
नॉर्वे की ओस्लो यूनिवर्सिटी से आईं डॉ. सिग्रिड क्वाल ने बताया कि अब दांतों से उम्र जानने के लिए MRI और AI आधारित तकनीकों का भी सहारा लिया जा रहा है। वहीं, IAFO के अध्यक्ष डॉ. आर. वी. सोलोमन ने राष्ट्रीय स्तर पर दंत डेटा रिकॉर्ड तैयार करने की वकालत की, ताकि अपराधों की जांच और पहचान प्रक्रिया मजबूत हो सके।
देश-विदेश से जुटे 300 विशेषज्ञ
सम्मेलन में भारत सहित कई देशों से आए करीब 300 विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। उद्घाटन अवसर पर डॉ. जयशंकर पिल्लई ने संस्था की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जबकि प्रो. (डॉ.) एस.ओ. जुनारे ने स्वागत भाषण और प्रो. (डॉ.) राजेश बाबू ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
मंच पर श्री मनोज अग्रवाल (IPS), डॉ. आर. वी. सोलोमन, श्री सी.डी. जडेजा सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी और अनेक विभागों के डीन-एसोसिएट डीन उपस्थित रहे। सम्मेलन न सिर्फ विज्ञान का मंच है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा ऐसा प्रयास है, जो तकनीक के सहारे इंसाफ के रास्ते आसान बनाता है।
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