📍 अहमदाबाद, 17 सितम्बर
देश में स्वच्छ भारत मिशन को जनांदोलन बनाने के उद्देश्य से अखिल भारतीय विकास परिषद संस्था ने बुधवार को एक भव्य स्वच्छता अभियान आयोजित किया। यह अभियान साबरमती रेलवे स्टेशन से बड़नगर तक फैले कुल 9 रेलवे स्टेशनों पर एक साथ संचालित हुआ।
संस्था के लगभग 50 स्वयंसेवकों ने सुबह से लेकर देर शाम तक लगातार 12 घंटे श्रमदान कर प्लेटफार्म, प्रतीक्षालय, पार्किंग क्षेत्र और आसपास के मार्गों की सफाई की। इस दौरान 240 किलो सूखा कचरा, 100 किलो गीला कचरा और 70 किलो प्लास्टिक कचरा एकत्र कर उसका उचित निस्तारण किया गया।
🎙️ अभियान का उद्देश्य और संदेश
संस्था के पदाधिकारियों ने कहा –
“स्वच्छता केवल सरकारी प्रयासों का विषय नहीं, यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। जब तक आमजन अपने घर और सार्वजनिक स्थल को स्वच्छ रखने का संकल्प नहीं लेते, तब तक स्वच्छ भारत का सपना अधूरा रहेगा।”
अभियान के दौरान यात्रियों और स्थानीय नागरिकों को भी सफाई में शामिल किया गया और उन्हें अपने आसपास सफाई बनाए रखने की शपथ दिलाई गई।
👥 संस्था के पदाधिकारी और विशेष अतिथियों की उपस्थिति
अभियान में विशेष रूप से उपस्थित रहे –
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चेयरमैन: जयंतीभाई अहिर
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अध्यक्ष: सियाराम शर्मा
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सचिव: अरुण कुमार शर्मा
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महिला मोर्चा वेलफेयर अध्यक्ष: राजश्री राजवाणी
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महिला अहमदाबाद जिला अध्यक्ष: संगीता काठेरिया
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महिला धर्मप्रचारक: बेबी शर्मा
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DRM कार्यालय, असरवा से रेलवे अधिकारी – जिन्होंने इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई और सफाई व्यवस्था का निरीक्षण किया।
इन सभी ने स्वयं श्रमदान कर लोगों को प्रेरित किया। उनकी उपस्थिति से अभियान को और अधिक गति मिली।
📊 ज्ञान बॉक्स : भारत में कचरा प्रबंधन की स्थिति
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भारत में हर दिन 1.5 लाख टन ठोस कचरा निकलता है।
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केवल 75-80% कचरा ही संग्रहित हो पाता है, बाकी खुले में पड़ा रहता है।
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प्लास्टिक कचरे का उत्पादन प्रति वर्ष 4 मिलियन टन से अधिक है।
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रीसाइक्लिंग और कम्पोस्टिंग से 50% तक कचरे को कम किया जा सकता है।
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WHO के अनुसार, स्वच्छता पर खर्च किया हर ₹1, स्वास्थ्य में ₹5 की बचत करता है।
✅ स्वच्छता अभियान के लाभ
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स्वास्थ्य सुरक्षा: संक्रामक रोगों में कमी।
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स्वच्छ वातावरण: प्रदूषण और दुर्गंध में कमी।
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सामाजिक जागरूकता: नागरिकों में जिम्मेदारी की भावना।
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सतत विकास: साफ रेलवे स्टेशन पर्यटन और यात्रियों की सुविधा बढ़ाते हैं।
✍️ संपादकीय दृष्टिकोण
ऐसे प्रयास केवल सफाई तक सीमित नहीं हैं, बल्कि व्यवहार परिवर्तन के प्रतीक हैं। जब समाज के नेतृत्वकर्ता, महिलाएं, युवा और रेलवे प्रशासन एक साथ आते हैं, तो यह संदेश और भी सशक्त हो जाता है। यदि हर नागरिक सप्ताह में केवल आधा घंटा सफाई को दे, तो भारत स्वच्छता के वैश्विक मानकों पर खरा उतर सकता है।
रिपोर्ट: संवाददाता
चैनल: गुजरात प्रवासी न्यूज, अहमदाबाद






