Homeजीवन मंत्र“रैलियों से आगे बढ़े समुदाय, शिक्षा और स्वरोजगार पर हो जोर”

“रैलियों से आगे बढ़े समुदाय, शिक्षा और स्वरोजगार पर हो जोर”

“शिक्षा से ही उठेगी समाज की ताकत, स्वरोजगार से खुलेगा विकास का रास्ता”

कौशाम्बी | ब्यूरो रिपोर्ट : सुशील कुमार दिवाकर

कौशाम्बी। समुदाय के कुछ संगठन लगातार ओबीसी से एससी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर रैलियों और सभाओं का आयोजन करते आ रहे हैं। इन आयोजनों में भारी धन खर्च होता है। जानकारों का कहना है कि यह प्रयास व्यर्थ नहीं है, परंतु इसका लाभ मिलने में लंबा समय लगेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही धन शिक्षा और स्वरोजगार के क्षेत्र में लगाया जाए तो समुदाय की स्थिति कहीं अधिक तेजी से सुधर सकती है।

 शिक्षा पर देना होगा बल

समुदाय के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा का स्तर उठाना है। शिक्षा का प्रसार कैसे हो और किस तरह युवाओं को रोजगारोन्मुख शिक्षा दी जाए—इस पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।

 प्रेरक उदाहरण

माचिदेवा समिति, कर्नाटक – शिक्षा, छात्रवृत्ति, छात्रावास, सरकारी ऋण व अन्य सुविधाएँ निःशुल्क उपलब्ध।

उड़ान धोबी सेवा संस्थान, राजस्थान – कैरियर गाइडेंस, “पढ़ेगी लाड़ली प्रोजेक्ट”, बेटियों को शैक्षणिक सामग्री वितरण।

श्रवण कनौजिया, जौनपुर – सीमित संसाधनों में वर्षों से सैकड़ों बच्चों को निःशुल्क शिक्षा।

 संगठनों के लिए रोडमैप

अल्पकालिक पाठशालाएँ : वरिष्ठ छात्र कनिष्ठों को पढ़ाएँ।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी : सामूहिक अध्ययन व्यवस्था।

स्वरोजगार प्रशिक्षण : दिन के समय कौशल विकास कार्यक्रम।

छात्रावास सुविधा : बड़े शहरों में सामुदायिक सहयोग से।

 शिक्षा से ही मजबूत होगा आरक्षण

शिक्षित वर्ग ही आरक्षण के मुद्दे को ठोस तर्कों और दस्तावेज़ों के साथ राजनीतिक मंचों पर मजबूती से उठा सकता है। तभी डॉ. भीमराव अंबेडकर का “शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो” तथा संत गाडगे महाराज का “विद्या बड़ी चीज है…पर बच्चों को शिक्षा दिए बिना न रहो” का संदेश सार्थक हो पाएगा।

 सामूहिक अपील

धोबी/रजक समाज के संगठनों और जागरूक नागरिकों से अपील है कि वे इस दिशा में मिलकर काम करें ताकि समाज का कोई भी बच्चा—लड़का या लड़की—शिक्षा से वंचित न रह सके।

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