अश्विन अग्रवाल अहमदाबाद
अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 148वीं रथयात्रा की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। हाल ही में हुए विमान हादसे के बाद शहर एक बार फिर श्रद्धा और भक्ति में लिपटा हुआ है। प्रशासन, मंदिर ट्रस्ट और श्रद्धालु मिलकर इस वर्ष की यात्रा को भव्य और सुरक्षित बनाने में जुटे हैं।
इस बार यात्रा में हाथियों की भूमिका खास तौर पर केंद्र में है।
रथयात्रा में शामिल गजराज – यानी हाथी – न सिर्फ शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि रथों की सुरक्षा और परंपरा की रक्षा में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
महंत महेंद्र नाथ का बड़ा बयान:
रथयात्रा आयोजन समिति के प्रमुख मंहत जगदीश महाराज हाथी वाले ने कहा है –
“ये हाथी केवल जानवर नहीं, ये भगवान के सेवक हैं। ये रथों के सच्चे रक्षक हैं, जो कभी पीछे नहीं हटते।”
मंहत जगदीश महाराज हाथी वाले ने बताया कि हाथियों के लिए विशेष व्यायाम, पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य जांच और स्नान की व्यवस्था की गई है। उनके लिए एक अस्थायी पशु चिकित्सा केंद्र भी बनाया गया है।
गजराजों की संख्या में गिरावट पर चिंता:
हर साल यात्रा में भाग लेने वाले हाथियों की संख्या सीमित होती जा रही है। इसे देखते हुए सरकारी वन विभाग और धार्मिक संस्थाएँ मिलकर संरक्षित प्रजनन केंद्रों की योजना पर काम कर रही हैं।
एक गजराज पर आता है 4 से 5 हज़ार रुपये का रोज़ाना खर्च, जिसमें शामिल हैं:
केला, गन्ना, चना और विशेष घास
नारियल तेल व हल्दी से स्नान
नियमित टीकाकरण और मेडिकल जांच
और महावत का समर्पण, जो हाथियों को परिवार की तरह मानते हैं
पीढ़ियों का संगम:
इस बार सबसे युवा हाथी ‘जानकी’ की उम्र सिर्फ 13 साल है, जबकि सबसे वरिष्ठ गजराज ‘रूपा’ 65 वर्ष की हैं। दोनों इस बार यात्रा की अगुवाई करेंगी।
आस्था, परंपरा और पर्यावरण का अनूठा मेल
रथयात्रा एक बार फिर यह संदेश दे रही है कि परंपराएँ केवल मनुष्यों से नहीं, बल्कि उन पशु साथियों से भी बनती हैं जो हमारी आस्था में सहभागी हैं।
अहमदाबाद में18 किलो मीटर लंबी 148 रथयात्रा देश की दुसरे नंबर रथयात्रा में 19 हाथी भाग लेंगे, जिनमें से चयनित गजराज सबसे आगे नजर आएँगे।
गुजरात प्रवासी न्यूज अहमदाबाद