📍 अहमदाबाद
गुजरात के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में एक गंभीर मरीज के साथ सिक्योरिटी गार्ड द्वारा मारपीट की घटना ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही स्वास्थ्य प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे।
घटना का विवरण
5 अगस्त की रात, रीता पटेल अपने गंभीर रूप से बीमार बेटे पराग पटेल को ट्रॉमा सेंटर लेकर आईं। इलाज के इंतजार में कई घंटों तक बेड के लिए भटकने के बाद, बार-बार बेड बदलने से पराग मानसिक रूप से परेशान हो गए। विरोध जताने पर अस्पताल स्टाफ ने सिक्योरिटी गार्ड को बुलाया, जिसने मरीज से गाली-गलौच और मारपीट की।
रीता पटेल का आरोप है कि जब उन्होंने घटना का वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश की, तो गार्ड ने उनका फोन भी छीन लिया। पुलिस को 100 नंबर पर कॉल करने के बाद भी, मौके पर पहुंची पुलिस केवल एक अर्जी लेकर लौट गई और BNS की संबंधित धाराओं के तहत कोई एफआईआर दर्ज नहीं की।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने बताया कि दोषी सिक्योरिटी गार्ड को ड्यूटी से हटा दिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। मरीज का इलाज जारी है। हालांकि, परिजनों का आरोप है कि यह सिर्फ खानापूर्ति है और मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।
परिवार की प्रमुख मांगें
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दोषी सिक्योरिटी गार्ड और संलिप्त मेडिकल स्टाफ के खिलाफ FIR दर्ज हो।
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अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा हेतु मानवाधिकार आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय स्वत: संज्ञान लें।
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सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था और प्रोटोकॉल को मजबूत किया जाए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना NMC (नेशनल मेडिकल कमीशन) की गाइडलाइंस का उल्लंघन है, जिसमें हर मरीज को गरिमापूर्ण और सुरक्षित इलाज का अधिकार दिया गया है।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों में भी आक्रोश है, जो त्वरित न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
रीता पटेल द्वारा दी गई अर्जी स्थानीय थाने को जांच के लिए भेज दी गई है।
गुजरात प्रवासी, संवाददाता