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गुरु पूर्णिमा पर संत श्री राम अवतार दास परमहंस महाराज के दर्शन का दिव्य अवसर – चैतन्य हनुमान मंदिर, असारवा में भव्य आयोजन

इस शुभ अवसर पर आप सभी श्रद्धालुओं से विनम्र अनुरोध है कि गुरु चरणों में मन, वचन और कर्म से समर्पित होकर, उनके उपदेशों को अपने जीवन का मार्ग बनाएं। यही सच्ची गुरुदक्षिणा है।

10 जुलाई 2025 गुरुवार के पावन पर्व गुरु पूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष्य में संत श्री राम अवतार दास परमहंस महाराज जी के दर्शन एवं आशीर्वाद हेतु एक विशेष भक्ति कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

यह शुभ आयोजन श्री चैतन्य हनुमान मंदिर, असारवा (अहमदाबाद) में सम्पन्न होगा, जहाँ प्रातः 11 बजे से संतश्री के दर्शन का सौभाग्य सभी श्रद्धालुओं को प्राप्त होगा।

परम पूज्य परमहंस महाराज जी अपने सरल स्वभाव, आध्यात्मिक साधना और त्यागमयी जीवनचर्या के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके उपदेश, सच्चे मार्ग की प्रेरणा देते हैं और शांति का अनुभव कराते हैं।

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गुरु पूर्णिमा पर दूर-दराज़ से श्रद्धालुजन बड़ी संख्या में दर्शन हेतु पधारते हैं। इस पवित्र दिन पर  हनुमान जी की कृपा और गुरु कृपा का संगम श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेगा।

1️⃣ “गुरु हैं ज्ञान का दीपक, उनका मार्ग ही जीवन का लक्ष्य!”
2️⃣ “गुरु बिन ज्ञान नहीं, गुरु बिन जीवन नहीं!”
3️⃣ “गुरु का आशीर्वाद, जीवन का सबसे बड़ा खजाना!”
4️⃣ “जहां गुरु के चरण हैं, वहीं स्वर्ग का द्वार है!”
5️⃣ “गुरु पूर्णिमा का पर्व है महान, गुरु ही हैं हमारे भगवान!”
6️⃣ “गुरु मिलें तो सच्चा जीवन मिले!”
7️⃣ “गुरु का वचन ही शास्त्र है, गुरु का संकेत ही रास्ता है!”
8️⃣ “गुरु की कृपा बिना कोई भवसागर पार नहीं कर सकता!”
9️⃣ “संतों के दर्शन से मिटता अज्ञान, मिलता सच्चा ज्ञान!”
🔟 “गुरु वही जो अंधकार में रोशनी बनकर साथ चले!”

गुरु केवल पढ़ाते नहीं, जगाते हैं। गुरु केवल उपदेश नहीं देते, दिशा देते हैं। जीवन में यदि कोई स्थायी प्रकाश है, तो वह है गुरु का ज्ञान।
गुरु वह सेतु है जो हमें ईश्वर से जोड़ता है, और आत्मा को उसकी स्वरूप चेतना की याद दिलाता है।

आज गुरु पूर्णिमा पर यह याद रखें कि:
🌼 श्रद्धा बिना गुरु मिलते नहीं,
और समर्पण बिना कृपा बरसती नहीं।

“गुरु वह नहीं जो केवल शब्द बोले,
गुरु वह है जिसकी मौन उपस्थिति भी जीवन बदल दे।”

गुरु के चरणों में बैठना, उनके वचनों पर मनन करना, और जीवन में उतारना ही सच्ची गुरुभक्ति है।

गुरु पूर्णिमा केवल उत्सव नहीं, यह आत्मा के पुनर्जागरण का पर्व है।
यह हमें याद दिलाता है कि जिस गुरु का हाथ सिर पर है, जीवन की कोई भी राह कठिन नहीं रहती।

“गुरु बिन ज्ञान नहीं,
गुरु बिन मोक्ष नहीं।”

“जो गुरु को पा गया, उसने ईश्वर को पा लिया।”

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