Homeपर्यावरण चेतनाबाढ़ की विभीषिका : मानवता के लिए प्रकृति का संदेश

बाढ़ की विभीषिका : मानवता के लिए प्रकृति का संदेश

डॉ. रघुराज प्रताप सिंह – पीपल मैन ऑफ इंडिया

📍 जालौन/उरई, उत्तर प्रदेश | 07 सितम्बर 2025 | विशेष संवाददाता रिपोर्ट

पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। चारों ओर बाढ़ का पानी फैला हुआ है। गाँव डूब गए हैं, परिवार बेघर हो गए हैं और हजारों लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं। यह दृश्य केवल एक प्राकृतिक आपदा का नहीं, बल्कि मानवता के लिए प्रकृति का स्पष्ट संदेश है—उसके साथ छेड़छाड़ अब असंतुलन और विनाश का कारण बन रही है।

 बाढ़ : जल संकट से बढ़कर एक चेतावनी

बाढ़ केवल जलभराव की समस्या नहीं है, बल्कि यह हमारी जीवनशैली और विकास की दिशा का आईना भी है।

  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई

  • नदियों पर अतिक्रमण

  • अव्यवस्थित शहरीकरण

  • जल प्रबंधन की उपेक्षा

इन सबने मिलकर प्राकृतिक आपदाओं को और भी गंभीर बना दिया है।

 जिम्मेदार कौन?

आज सवाल यह है कि हर साल ऐसी त्रासदियाँ क्यों आती हैं?

क्या इसके लिए नागरिक जिम्मेदार हैं?

क्या सरकारों की योजनाएँ विफल रही हैं?

क्या हमारी भौतिकवादी सोच और तेज़ विकास ही असली दोषी है?

सच यही है कि इस संकट के पीछे मानव स्वयं जिम्मेदार है।

समाधान की दिशा

  1. पेड़ और प्रकृति का सम्मान – हर पेड़ छाया ही नहीं, बल्कि भविष्य को सुरक्षित करता है।

  2. जल का सम्मान – वर्षा जल संचयन, तालाब और झीलों का संरक्षण हर समाज की प्राथमिकता बने।

  3. नदियों को स्वतंत्र बहने दें – अतिक्रमण हटाकर नदियों को उनका स्वाभाविक मार्ग लौटाना होगा।

  4. सामूहिक जिम्मेदारी – आपदा केवल सरकार की नहीं, बल्कि हम सबकी साझी जिम्मेदारी है।

 वैश्विक दृष्टिकोण

बाढ़, तूफान और जलवायु परिवर्तन अब किसी एक देश या क्षेत्र की समस्या नहीं रहे। यह पूरी मानवता का साझा संकट हैं। जब पृथ्वी के किसी हिस्से में आपदा आती है तो उसका असर पूरे विश्व पर पड़ता है।

इसलिए हर नागरिक को यह समझना होगा कि प्रकृति की रक्षा करना ही अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना है।

“बाढ़ केवल त्रासदी नहीं, यह प्रकृति का दिया हुआ सबक है।” – डॉ. रघुराज प्रताप सिंह

 आशा और अवसर

यह संकट हमें तोड़ने के लिए नहीं आया, बल्कि जगाने के लिए आया है। यदि आज हम सीखते हैं तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और संतुलित धरती तैयार कर सकते हैं। हमें सामूहिक प्रयास से एक हरित और सुरक्षित विश्व बनाना होगा और संकट में फंसे अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करनी होगी।

लेखक : डॉ. रघुराज प्रताप सिंह


पर्यावरणविद एवं संस्थापक – रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन, “पीपल मैन ऑफ इंडिया”

 रिपोर्ट : पंकज कुमार गुप्ता
 जिला – जालौन, उरई (उत्तर प्रदेश)
 चैनल – गुजरात प्रवासी न्यूज, अहमदाबाद

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